मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावरा छोटा होता है जबकि लोकोक्ति बड़ी और भावपूर्ण होती है। लोकोक्ति का वाक्य में ज्यों का त्यों उपयोग होता है। मुहावरे का उपयोग क्रिया के अनुसार बदल जाता है लेकिन लोकोक्ति का प्रयोग करते समय इसे बिना बदलाव के रखा जाता है। हाँ, कभी-कभी काल के अनुसार परिवर्तन सम्भव है।

  1. अन्धे की लाठी (एकमात्र सहारा) कमल अपने वृद्ध माता-पिता के लिए अन्धे की लाठी था।
  2. अन्त बिगाड़ना (अन्तिम दिनों में बुरा करना) पंकज की नौकरी तो जाने ही वाली थी। रुपयों की हेरा-फेरी करके उसने अपना अन्त बिगाड़ लिया।
  3. अक्ल के पीछे लट्ठ लिये फिरना (मूर्खतापूर्ण कार्य करना) तुम तो अक्ल के पीछे लट्ठ लिये फिरते हो, जो दूसरों के झगड़े में पड़कर सिर फोड़वा आये।
  4. अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि नष्ट होना) मेरी ही अक्ल पर पत्थर पड़ गये थे, जो बैंक की नौकरी छोड़ बैठा।
  5. अक्ल चरने जाना (बुद्धि से काम न लेना) बड़े भाई पर हाथ उठाते समय मेरी अक्ल चरने चली गयी थी।
  6. अगर-मगर करना (हुज्जत या तर्क करना, टाल-मटोल करना) सुनीता किसी के द्वारा कही गयी बात को बिना अगर-मगर किये स्वीकार ही नहीं करती।
  7. अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना) आजकल नेता लोग वोट के लिए खुशामद करके अपना उल्लू सीधा करते हैं।
  8. अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि स्वयं करना) पढ़ाई का समय व्यर्थ में गँवाकर तुमने अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारी है।
  9. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (लज्जित होना)राजेश की झूठी बात की वास्तविकता का जब सभी सहकर्मियों को पता चल गया तो राजेश अपना-सा मुँह लेकर रह गया।
  10. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना) आजकल के नेता अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने में गर्व का अनुभव करते हैं।
  11. अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वावलम्बी होना) विकास के माता-पिता उसकी शादी करना चाहते थे, लेकिन उसने कहा कि जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं होगा, तब तक शादी नहीं करेगा।
  12. अंक लगाना (स्नेह से लिपटा लेना) जब रवि एक माह बाद राष्ट्रीय खेलों में पुरस्कार लेकर वापिस लौटा तो उसकी दादी ने उसे अपने अंक लगा लिया।
  13. अंगारे सिर पर रखना (विपत्ति मोल लेना) सभी कार्य सोच-समझकर करने चाहिए। सीता का हरण कर रावण ने बेवजह अंगारे सिर पर रख लिए।
  14. अंगार उगलना (कठोर बात कहना) वह बातें क्या कर रहा था, मानो अंगारे उगल रहा था।
  15. अंगारे बरसना (अत्यधिक गर्मी पड़ना) इस वर्ष तो अप्रैल माह में ही अंगारे बरसने लगे। बाद के महीनों में न जाने क्या होगा।
  16. अँगूठा दिखाना (स्पष्ट मना कर देना) जब तक लिपिक ने उसका कार्य नहीं कर दिया था, तब तक वह उसे कुछ राशि देने का वायदा करता रहा। काम होते ही उसने लिपिक को अँगूठा दिखा दिया।
  17. अँगूठी का नगीना (सर्वोपयुक्त जोड़ा मिलना) राम के लिए सीता और शिव के लिए पार्वती अँगूठी के नगीने के समान ही थीं।
  18. अण्डे सेना (घर पर बैठे रहना) आपको हड़ताल छोड़ अपने काम पर लौट जाना चाहिए। यहाँ पर अण्डे सेने से लाभ नहीं होगा।
  19. आँख दिखाना (धमकाना) वह मुझसे ₹500 उधार तो बड़ी नम्रता से माँगकर ले गया, अब मैं माँगता हूँ तो मुझे आँखें दिखाता है।
  20. आँखों पर परदा पड़ना (वास्तविक न दिखाई देना) – भारत की आँखों पर तो ऐसा परदा पड़ गया है कि विश्वसघाती चीन को भी वह अपना मित्र समझ बैठा है।
  21. आँखें फेरना (मुँह मोड़ना)नीरज ने अपने मित्र को मुसीबत में देखकर आँखें फेर लीं। (2015)
  22. आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)अनेक व्यापारी मिलावट करके ग्राहकों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं।
  23. आँखों का तारा होना (अत्यन्त प्रिय होना) राम कौशल्या की आँखों के तारे थे।
  24. आँखें नीची होना (शर्मिन्दा होना) – घोटाले में पकड़े गये मन्त्रियों की आँखें उसी समय नीची होती हैं, जब पत्रकारों द्वारा उनकी तस्वीरें उतारी जाती हैं।
  25. आग में घी डालना (क्रोध को और बढ़ाना) किसी भी वाद-विवाद के समय बीती बातों का जिक्र आग में घी डालने का काम करता है।
  26. आ बैल मुझे मार (मुसीबत मोल लेना) रमेश ने अपने अधिकारी की बात न मानकर मुसीबत मोल ले ली इसे कहते हैं आ बैल मुझे मार।
  27. आग बबूला होना (अत्यधिक क्रोधित होना) कार्य में लापरवाही बरतने का मिथ्या दोषारोपण किये जाने के कारण विकास अपने अधिकारी पर आग बबूला हो उठा।
  28. आस्तीन का साँप (विश्वासघाती मित्र) – भारत चीन को मित्र समझता था। भारत पर आक्रमण करके उसने स्वयं को आस्तीन का साँप सिद्ध कर दिया।
  29. आसमान पर थूकना (महान् व्यक्ति पर दोषारोपण करना) – देश के राष्ट्रपति के ऊपर कदाचार का आरोपण आसमान पर थूकने जैसा है।
  30. आसमान के तारे तोड़ना (असम्भव काम) – तुम प्रधानमन्त्री बनने के स्वप्न देख रहे हो। तुम्हारे जैसे गँवार के लिए तो विधायक बनना भी आसमान के तारे तोड़ने से कम नहीं है।
  31. आठ-आठ आँसू रोना (अत्यधिक आँसू बहाना) – अपने पिता के स्वर्गवास पर आलोक के साथ परिवार के सभी सदस्य आठ-आठ आँसू रोये।
  32. आधा तीतर आधा बटेर (न इधर का न उधर का) – अध्यापक ने छात्रों को समझाया कि या तो अंग्रेजी में बात किया करें या हिन्दी में। बातचीत के दौरान आधा तीतर आधा बटेर उचित नहीं। (2013, 16)
  33. आसमान टूट पड़ना (असम्भव घटित होना) यदि सरकारी गोदामों में रखा गया अतिरिक्त अनाज गरीबों को मुफ्त दे दिया जाएगा, तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
  34. आप काज महाकाज (अपना कार्य सबसे महत्त्वपूर्ण) – अनिमेश के लिए दूसरे के बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य का भी कोई महत्त्व नहीं होता। उसका तो यही मानना है कि आप काज महाकाज।
  35. आकाश-पाताल एक कर देना (असीमित प्रयत्न करना) – इस वर्ष आई० ए०एस० परीक्षा की तैयारी के लिए सुरेश ने आकाश-पाताल एक कर दिया।
  36. इज्जत मिट्टी में मिलना (सम्मान नष्ट होना) – बेटा, तुमने तो चोरी करके मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी।
  37. इधर की उधर लगाना (चुगली करना) इधर की उधर लगाते-लगाते ही अनिल ने दो लोगों के घनिष्ठ सम्बन्ध में दरार पैदा कर दी।
  38. ईंट से ईंट बजाना (समूल विनाश करना) – यदि कोई शत्रु देश भारत पर आक्रमण करने का दुःसाहस करेगा तो भारतीय सैनिक उसकी ईंट-से-ईंट बजा देंगे।
  39. ईद का चाँद होना (अधिक दिनों में दिखायी देना) – भाई विपिन, जब से तुम इंजीनियर बने हो, ईद का चाँद हो गये हो।
  40. ईंट का जवाब पत्थर से देना (दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना) – भारत शान्तिप्रिय देश है, परन्तु पाकिस्तान ने यदि उसके साथ कोई अनुचित कार्य किया, तो ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।
  41. उड़ती चिड़िया पहचानना (के पंख गिनना) (दूर से ही वास्तविकता को समझ जाना) – चोर दारोगा को अपने चोर न होने की दुहाई दे रहा था। दारोगा ने उससे कहा कि मैं अनाड़ी नहीं हूँ, मैं उड़ती चिड़िया पहचानता हूँ।
  42. उल्टी गंगा बहाना (नियम-विरुद्ध कार्य करना) – मोहन का मित्र सदैव उसके हित की बात करता है, परन्तु वह उसे अपना विरोधी बताकर हमेशा उल्टी गंगा बहाता है।
  43. उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना) – राम ने श्याम से ही अपने सारे कठिन कार्य करवा कर अपना उल्लू सीधा कर लिया।
  44. उँगलियों पर नचाना (मनमानी करना) – स्त्रैण पुरुषों को उनकी स्त्रियाँ हमेशा अपनी उँगलियों पर नचाया करती हैं।
  45. ऊँट के मुँह में जीरा (अति अल्प साधन) – गुजरात की प्राकृतिक आपदा से पीड़ित जनता के लिए दो-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता तो ऊँट के मुँह में जीरे के समान है।
  46. एक अनार सौ बीमार (एक वस्तु को प्राप्त करने के लिए बहुत लोगों का प्रयास करना) – आजकल एक छोटी-सी नौकरी के लिए सैकड़ों सिफारिशें आती हैं। इसी को कहते हैं- एक अनार सौ बीमार।
  47. एक आँख से देखना (समान भाव रखना) – राज्यवर्धन एक दयालु एवं प्रजापालक राजा थे। वे सभी को एक आँख से देखते थे।
  48. एक ही लकड़ी से हाँकना (अच्छे-बुरे की पहचान न होना) – पराधीनता के दिनों में अंग्रेजों ने उचित अनुचित का विवेक न करते हुए सभी भारतवासियों को एक ही लकड़ी से हाँक दिया।
  49. एक और एक ग्यारह होना (संगठित होना) – पाकिस्तानियों के षड्यन्त्रों को विफल करने के लिए भारतीयों को एक और एक ग्यारह होना पड़ेगा।
  50. ओखली में सिर देना (जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना) – जब ओखली में सिर दे ही दिया है, तब डरना व्यर्थ है।
  51. कान पर जूँ न रेंगना (अनसुनी करना) – जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए गुहार लगाती रहती है, पर अफसरों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती।
  52. कच्चा चिट्ठा खोलना (कमियाँ प्रकट करना) – विपक्षी दल के नेताओं ने अपनी सारी शक्ति सरकार का कच्चा चिट्ठा खोलने में ही व्यय कर दी।
  53. कुएँ में भाँग पड़ना (सबका एकसमान उन्मत्त होना)– इस घर के सभी सदस्य एक ही तरह के हैं। मालूम पड़ता है कि कुएँ में ही भाँग पड़ी हुई है।
  54. कूपमण्डूक होना (अल्पज्ञ होना) – तुम्हारा मित्र कूपमण्डूक है। वह अपने घर के अलावा कुछ नहीं जानता।
  55. हाथ-पाँव मारना (अत्यधिक प्रयत्न करना) – अपनी बेटी को एम० बी० बी०एस० में अच्छे कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए उसके पिता आशुतोष ने खूब हाथ-पाँव मारे, लेकिन सफल न हो सके।
  56. काला अक्षर भैंस बराबर (बिल्कुल अशिक्षित) – तुम अंग्रेजी का अखबार लेकर क्या करोगे, तुम्हारे लिए तो अंग्रेजी काला अक्षर भैंस बराबर है।
  57. कलेजा ठण्डा होना (चैन पड़ना) – भूतपूर्व मन्त्री जी की चुनाव में (2015) जमानत जब्त हो जाने पर विपक्षी नेताओं का कलेजा ठण्डा हो गया।
  58. कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक व्याकुल होना) – पत्नी के असामयिक निधन का समाचार सुनते ही उसका कलेजा मुँह को आ गया।
  59. कलेजे परं साँप लोटना (ईर्ष्या से जल उठना) – राघव को नयी कार की सवारी करते देखकर शीतल के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
  60. कीचड़ उछालना (दोष लगाना) – तुम एक साधु पुरुष पर कीचड़ उछाल रहे हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए।
  61. कलई खुलना (भेद खुलना) – राजीव ने अपने अधिकारी के भ्रष्टाचार की कलई खोलकर कई रहस्यों पर से पर्दा उठा दिया।
  62. खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना) – अकाल और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदा के समय देश के विकास कार्य खटाई में पड़ जाते हैं।
  63. खेत रहना (युद्ध में मारा जाना) – ईरान-इराक युद्ध में लाखों जवान खेत रहे।
  64. खून का प्यास (जानी दुश्मन) – राम और रहीम आजकल एक-दूसरे ‘के खूने प्यासे हुए हैं।
  65. खून सफेद होना (प्रेम और आत्मीयता की भावना समाप्त होना) – पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में सम्पत्ति का बँटवारा क्या हुआ, दोनों के तो खून ही सफेद हो गये।
  66. खून सूखना (भयग्रस्त होना) – आतंकवादियों की गतिविधियों के कारण सीमा के निकट रहने वालों का खून सूखता रहता है।
  67. गले का हार होना (बहुत प्रिय होना) – विमल अपने ननिहाल में आकर अपने नाना के गले का हार बन गया है।
  68. गड़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातों को याद दिलाना) – स्त्रियाँ छोटे-मोटे लड़ाई-झगड़ों में गड़े मुर्दे उखाड़कर एक-दूसरे को भला-बुरा कहती है |
  69. गागर में सागर भरना (संक्षेप में बहुत कुछ कह देना) – महाकवि बिहारी ने अपनी ‘सतसई’ के दोहों में ‘गागर में सागर’ भर दिया।
  70. गाल बजाना (डींग मारना) – मात्र गाल बजाने से ही तुम किसी काम में सफल नहीं हो सकते। सफलता के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।।
  71. गूलर का फूल होना (अप्राप्य होना) – वर्तमान समय में ईमानदार व्यक्ति का मिलना गूलर का फूल हो गया है।
  72. घोड़े बेचकर सोना (निश्चिन्त होना) – तुम तो अब लड़की की शादी करके आराम से घोड़े बेचकर सो जाओ।
  73. घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – तुम उस विधवा को ताने देकर उसके घावों पर क्यों नमक छिड़क रहे हो।
  74. घड़ों पानी पड़ना (लज्जित होना) – मोहन सिगरेट पी रहा था कि उसके पिताजी आ गये। उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
  75. घर फूँक तमाशा देखना (अपनी हानि पर आनन्दित होना) – युवाओं को आतंकवाद में फँसाकर आतंकवादी संगठन घर फूँक तमाशा देखने की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
  76. घी के दीये जलाना (खुशियाँ मनाना) – भ्रष्ट अधिकारी का तबादला होने पर सभी कर्मचारियों ने घी के दीये जलाये।
  77. चम्पत होना (भाग जाना) – आयकर अधिकारियों के उड़नदस्ते को देखकर बड़े-बड़े व्यापारी शहर से चम्पत हो जाते हैं।
  78. चार चाँद लगाना (शोभा बढ़ाना) – मदर टेरेसा ने कुष्ठ रोगियों के लिए लगे चिकित्सा शिविर में पधारकर आयोजन में चार चाँद लगा दिये।
  79. चाँदी काटना (अधिक लाभ प्राप्त करना) – आपात् स्थिति से पूर्व काले धन्धे में लगे व्यक्ति कृत्रिम कमी उत्पन्न करके चाँदी काट रहे हैं।
  80. चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना) – हर आदमी मोहन की बुराई करता है, परन्तु वह ऐसा चिकना घड़ा है कि उस पर कोई प्रभाव नहीं होता।
  81. चींटी के पर निकलना (अति सामान्य व्यक्ति द्वारा घमण्ड करना) – आजकल उसका दिमाग सातवें आसमान पर है। रोज धमकियाँ दे रहा है। लगता है कि चींटी के पर निकल आए हैं।
  82. चिराग तले अँधेरा (सबको सुविधा देने वालों का स्वयं सुविधाओं से वंचित रह जाना) – हमारे अध्यापक महोदय का लड़का पढ़ाई में बहुत कमजोर है। इसे कहते हैं- चिराग तले अँधेरा।
  83. छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिये।
  84. छाती पर मूंग दलना (अत्यधिक कष्ट देना) – तुमको पढ़ा-लिखा दिया, परिश्रम करो और कोई नौकरी-धन्धा देखो। कब तक मेरी छाती पर मूँग दलते रहोगे।
  85. छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना) – मेरे लड़के के सरकारी अफसर बन जाने पर रिश्तेदारों की छाती पर साँप लोटने लगा।
  86. टोपी उछालना (बेइज्जत करना) – तुम्हारे पास पैसे हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि तुम सबकी टोपी उछालते रहो।
  87. ठकुरसुहाती करना (खुशामद या चापलूसी करना) – स्वाभिमानी व्यक्ति भूखा मर जाता है, किन्तु वह किसी की ठकुरसुहाती नहीं करता।
  88. ठगा-सा रह जाना (चकित रह जाना) – जादूगर के प्रत्यक्ष चमत्कारों को देखकर मैं ठगा-सा रह गया।
  89. तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बड़ी बनाना) – बात तो बहुत छोटी-सी थी, उन्होंने आपस में झगड़ा करके तिल का ताड़ बना दिया।
  90. तीन-तेरह होना/करना (तितर-बितर करना) – आयकर का छापा पड़ने से पूर्व ही सेठ नवीनचन्द ने अपने कागजों को तीन-तेरह कर दिया।
  91. थाली का बैंगन होना (पक्ष बदलते रहना)– रंजन की बात पर कोई विश्वास नहीं करता। वह कभी इस ओर हो जाता है और कभी उस ओर। उसे तो थाली का बैंगन कहना चाहिए।
  92. दूध की नदियाँ बहाना (धन का वैभव दिखलाना) – आजकल के नेतागण अपने पुत्र-पुत्रियों के वैवाहिक समारोहों में जमकर दूध की नदियाँ बहाते हैं।
  93. दाँत खट्टे करना (हराना) – भारतीय सेना ने सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के दाँत खट्टे कर दिये थे।
  94. दाँतों तले अंगुली दबाना (चकित रह जाना)– अजन्ता-ऐलोरा की गुफाओं को देखकर दर्शकगण दाँतों तले अँगुली दबा लेते हैं।
  95. दाल में कुछ काला होना (गड़बड़ होना) – तुम रात भर सड़कों पर इधर से उधर घूमते रहे हो, जरूर कुछ दाल में काला है।
  96. दूध का दूध पानी का पानी करना (ठीक न्याय करना) – न्यायाधीश ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
  97. तोते की तरह रटना (बिना अर्थ समझे पाठ याद करना) – परीक्षा के समय विद्यार्थी तोते की तरह सब कुछ रट लेते हैं। उनको यह समझना चाहिए कि विद्या रटने से नहीं मिलती।
  98. नाक कटना (इज्जत गँवाना) – अजय परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया, उसने तो विद्यालय की नाक ही कटा दी।
  99. नहले पर दहला चलना (किसी की कही बात को अपनी बात कहकर महत्त्वहीन सिद्ध करना) – शेखर राजनीतिक दाँव-पेंच पर अपनी शेखी मार रहा था कि चन्द्रन ने अपनी बात कहकर उसकी बात गलत कर दी। सभी ने कहा कि चन्द्रन ने तो नहले पर दहला चला दिया।
  100. नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही नौ दो ग्यारह हो जाते हैं।
  101. नाक रगड़ना (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना) – थोड़ी-बहुत सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए अधिकारियों के सामने नाक रगड़ना अच्छी बात नहीं है।
  102. नाक बचाना (इज्जत बचा लेना)– प्रदीप ने विवाह के समय पर अनिल को धन प्रदान करके उसकी नाक बचा ली।
  103. नाकों चने चबाना (अत्यधिक परेशान करना) – रमेश ने सुरेश से कहा कि तुम मुझे कमजोर समझने की गलती हरगिज मत करना। मैं तुम्हें नाकों चने न चबवा दूँ तो मेरा नाम बदल देना।
  104. पानी-पानी होना (लज्जित होना) मेहमान के सम्मुख अपने नौकर के प्रति पुत्र के अशिष्ट व्यवहार को देखकर पिता पानी-पानी हो गया।
  105. पहाड़ टूट पड़ना (अत्यधिक मुसीबतें आना) – राम के पिता की मृत्यु से उसके परिवार पर मानो पहाड़ ही टूट पड़ा।
  106. पेट में दाढ़ी होना (अत्यधिक धूर्त होना) – श्याम की आयु केवल पन्द्रह साल की है किन्तु वह बहुत अधिक चालाक है। उसकी बातें सुनकर एक व्यक्ति ने कहा कि इस लड़के के पेट में तो दाढ़ी है।
  107. पापड़ बेलना (बड़ी विपत्ति झेलना) आजकल के तकनीकी शिक्षा प्राप्त नवयुवकों को भी नौकरी पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं।
  108. पानी उतर जाना (इज्जत समाप्त हो जाना) – रमेश की चोरी पकड़े जाने के बाद से पड़ोसियों की निगाह में उसका पानी उतर गया।
  109. प्राण हथेली पर रखना (मृत्यु के लिए तैयार रहना) – भारतीय सैनिक सदैव प्राण हथेली पर रखकर अपने शत्रुओं का सामना करते हैं।
  110. बाल-बाँका न होना (कुछ भी हानि न पहुँचना)– इस मुकदमे में तुम चाहे जितना ही धन व्यय कर लो, किन्तु उनका बाल-बाँका नहीं हो सकता।
  111. भण्डाफोड़ करना (भेद खोलना) – कल तक तो गोपाल भक्त बना हुआ था और लोगों का धन-हरण कर रहा था। मगर आज महेश ने अन्ततः उसका भण्डाफोड़ कर ही दिया।
  112. भीगी बिल्ली बनना (भय से दबना) – वह अपने मालिक के सामने भीगी बिल्ली बना रहता है।
  113. मंत्र फूंकना (अनुचित बातें समझाना) – दो भाइयों के विवाद में अक्सर पड़ोसी और रिश्तेदार दोनों ही मन्त्र फूंकते रहते हैं।
  114. मु‌ट्ठी गरम करना (रिश्वत देना) – आजकल दफ्तरों में क्लकों की मुट्ठी गर्म किये बिना कोई फाइलआगे नहीं सरकती।
  115. मक्खन लगाना (चापलूसी करना) – आजकल अपना स्वार्थ साधने के लिए अपने अधिकारी को मक्खन लगाना सामान्य बात हो गयी है।
  116. रंग में भंग पड़ना (आनन्द में विघ्न होना) – सिनेमाहॉल में कुछ लोगों में झगड़ा होने के कारण अधिकांश दर्शकों के रंग में भंग पड़ गया।
  117. लोहे के चने चबाना (कठोर परिश्रम करना) – किसी प्रतियोगी परीक्षा में चयन के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
  118. लाल-पीला होना (क्रोधित होना) – नीरज विकास को देखकर लाल-पीला हो जाता है।
  119. श्रीगणेश करना (प्रारम्भ करना) – आज मैंने पुस्तक लिखने का श्रीगणेश कर दिया।
  120. साँच को आँच नहीं (सच्चे मनुष्य को भय नहीं होता) – मैं जानता हूँ कि साँच को आँच नहीं, इसलिए मैं पुलिस से क्यों डरूं, क्योंकि मैंने कोई गलत काम तो किया नहीं।
  121. सिर उठाना (विरोध में खड़े होना, बगावत करना) – भगवान् श्रीकृष्ण के सम्मुख कंस, जरासन्ध, शिशुपाल जैसे अनेक दुराचारियों ने सिर उठाये, जो उनके द्वारा मार दिये गये।
  122. सूरज को दीपक दिखाना (अति गुणवान् या बुद्धिमान को कुछ बताना या लिखना अथवा किसी अति प्रसिद्ध पुरुष का परिचय देना) – महात्मा गांधी के चरित्र के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीपक दिखाने के समान है।
  123. हवाई किले बनाना (ऊँची कल्पनाएँ करना) – अभी तो तुम्हारा परीक्षाफल भी नहीं आया, अभी से हवाई किले बनाने लगे हो।
  124. हवा हो जाना (गायब हो जाना) – दानवीर कर्ण युद्ध-क्षेत्र में न जाने कहाँ हवा हो गया।
  125. हथियार डाल देना (हार मान लेना) – कारगिल के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारत की सेना के आगे हथियार डाल दिये।
  126. हाथ पर हाथ धरकर बैठना (निकम्मा होना) – परिश्रमशील व्यक्ति कभी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते। वे सदैव कुछ-न-कुछ करते रहते हैं।
  127. हाथ के तोते उड़ जाना (चकित रह जाना) – राजेश के बैग में बीस हजार रुपये थे। एक लुटेरा दिन में ही चालू सड़क पर चाकू दिखाकर बैग छीन ले गया। ऐसा लगा राजेश के तो हाथ के तोते ही उड़ गये; क्योंकि दिन में तो वह ऐसा सोच ही नहीं सकता था।
  128. हाथ-पाँव फूलना (व्यग्र होना, घबड़ा जाना) – राकेश रात्रि में रेलवे स्टेशन से वापस आ रहा था। रास्ते में एक खूंखार से लगने वाले व्यक्ति को देखकर उसके हाथ-पाँव फूल गये।
  129. हाथ-पाँव मारना (अत्यधिक प्रयत्न करना) – अपने पुत्र रंजन को एम०बी०बी०एस० में अच्छे कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए उसके पिता अमरीश ने बहुत हाथ-पाँव मारे, परन्तु वे सफल न हो सके।
  130. हाथ पीले करना (विवाह करना) – मोहन ने अत्यन्त कठिनाई से अपनी दोनों पुत्रियों के हाथ पीले किये।

लोकोक्तियाँ

  1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता) – केवल अपने क्षेत्र के नेता या अधिकारियों को हीदोषी सिद्ध करना उचित नहीं है। जनता को भी अपने कर्त्तव्यों पर ध्यानदेना चाहिए। क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
  2. अधजल गगरी छलकत जाय (कम होने पर अधिक का दिखावा करना) – नरेश कमाता तो है तीन हजार रुपये महीने और पाँच हजार रुपये का सूट बनवा लिया, जैसे बड़ा धनी हो। इसी को कहते हैं- ‘अधजल गगरी छलकत जाय।’
  3. अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग (अपने-अपने मतलब की बात करना) – राकेश के परिवार का कोई भी सदस्य किसी की बात नहीं मानता। सभी ‘अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग’ अलापते हैं।
  4. अपना हाथ जगन्नाथ (अपने पुरुषार्थ से ही मनुष्य को सफलता मिलती है) – परिश्रम करोगे, तभी अपनी रोजी-रोटी ठीक से कमा सकोगे। लगता है कि तुमने ये कहावत सुनी ही नहीं है- ‘अपना हाथ जगन्नाथ’।
  5. अपनी करनी पार उतरनी (जैसी करनी वैसा फल) – यदि व्यक्ति अच्छा काम करता है तो उसे अच्छा फल मिलेगा और यदि बुरा कामकरता है तो बुरा। पुराने लोगों ने उचित ही कहा है कि ‘अपनी करनी पार उतरनी’।
  6. अटका बनिया देय उधार (दबा हुआ मनुष्य सब कुछ कर सकता है) – राकेश के अजय के पास पच्चीस हजार रुपये बाकी थे। राकेश के बार-बार माँगने पर अजय ने उसे कई अन्य कामों में फँसा दिया। खीझकर राकेश बोल उठा- ‘अटका बनिया देय उधार’ कहावत सही ही कही गयी है।
  7. आम के आम गुठलियों के दाम (दुहरा लाभ प्राप्त करना) – सोहन ने चावल तो पहले ही अच्छे दामों पर बेच दिये थे। अब धान की भूसियों को बेचकर भी पैसे बना रहा है। इसी को कहते हैं- ‘आम के आम गुठलियों के दाम’।
  8. आँख के अन्धे गाँठ के पूरे (मूर्ख लेकिन धनी) – लाभचन्द मूर्ख तो है लेकिन है धनपति। ऐसे ही लोगों के लिए कहा गया है- ‘आँख के अन्धे गाँठ के पूरे’।
  9. आँख का अन्धा नाम नयनसुख (नाम के विपरीत गुण होना) – करोड़ीमल नाम के व्यक्ति को भीख माँग कर अपना पेट पालना पड़ता है। यह तो वही बात हुई- ‘आँख का अन्धा नाम नयनसुख’।
  10. आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास (करना चाहिए था कुछ, करने लगे कुछ और) – ज्ञानी उद्धव गोपियों का मन कृष्ण की भक्ति से हटाकर, निराकार की ओर मोड़ने गये थे, पर स्वयं ज्ञान-मार्ग छोड़कर प्रेममार्गी बन गये। इसी को कहते हैं- ‘आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास’।
  11. आगे नाथ न पीछे पगहा (बन्धनहीन) – रामू के कार्यों का अनुसरण मत करो, क्योंकि उसके तो ‘आगे नाथ न पीछे पगहा’। लेकिन तुम्हारे साथ तो ऐसा नहीं है।
  12. आसमान से गिरा, खजूर पर अटका (एक मुसीबत से छूटा तो दूसरी मुसीबत में पड़ गया) – चुनाव आयोग ने जयललिता को चुनाव लड़ने से रोक दिया था। तब राज्यपाल फातिमा बीबी ने उन्हें मुख्यमन्त्री तो बना दिया, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जयललिता को मुख्यमन्त्री पद भी छोड़ना पड़ा। इसी को कहते हैं- ‘आसमान से गिरा, खजूर पर अटका’।
  13. आप भला तो जग भला (अच्छे के लिए सभी अच्छे होते हैं)– दूसरों से तुम्हें क्या मतलब, तुम अपना काम करो और उसी में मन लगाओ, क्योंकि ‘आप भला तो जग भला’।
  14. आधी तज सारी को धावै, आधी रहे न सारी पावै (अधिक पाने के लालच में जो अपना है उसे भी गँवा देना) – ललित के पास गाढ़ी कमाई के कुछ रुपये थे। अधिक कमाने के लिए उसने इसे ऊँची ब्याज दर पर उधार दे दिया। उधार लेने वाले की मृत्यु हो गयी और ललित का मूलधन भी डूब गया। इसी को कहते हैं- ‘आधी तज सारी को धावै, आधी रहे न सारी पावै’।
  15. इधर कुआँ उधर खाई (सभी ओर परेशानी)– शेर से बचने के लिए हेनरी पेड़ पर चढ़ गया। घबराहट में जिस डाल पर वह बैठा उस पर एक विषैला सर्प पहले से था। इसी परिस्थिति को कहते हैं- ‘इधर कुआँ उधर खाई’।
  16. उल्टे बाँस बरेली को (विपरीत कार्य वाला) – मन्त्री जी ने बाँस से बने फर्नीचर मँगाने का आदेश मुम्बई की एक कम्पनी को दिलाकर ‘उल्टे बाँस बरेली को’ कहावत चरितार्थ की।
  17. उल्टा चोर कोतवाल को डॉटे (अपना दोष स्वीकार न करके निदर्दोष को दोष देना) – सुनील से जब प्रधानाचार्य से की गयी उसकी उद्दण्डता के बारे में मैंने पूछा तो वह मुझे ही दोषी ठहराने लगा। ठीक ही कहा गया है- ‘उल्टा चोर कोतवाल को डॉट’।
  18. ऊँची दुकान, फीका पकवान या ढोल के भीतर पोल (दिखावा अधिक और वास्तविकता कम) – ‘मॉडल स्कूल’ में बच्चे का दाखिला क्यों करा रहे हो ? विद्यालयों के नाम पर तो वह ‘ऊँची दुकान, फीका पकवान’ वाली कहावत को चरितार्थ करता है।
  19. ऊधौ का लेना न माधव को देना (किसी से कोई सम्बन्ध न रखना/तटस्थ रहना) – वह तो कार्यालय आता है, काम करता है और वापस घर चला जाता है। महीने के अन्त में अपनी तनख्वाह ले लेता है। उसके ऊपर यह कहावत सही उतरती है ‘ऊधौ का लेना न माधव को देना’।
  20. एक ही थैली के चट्टे-बट्टे (एक जैसे दुर्गुणों वाले) – राम सिंह हो या ध्यान सिंह- ये जितने भी नेता है, सभी ‘एक ही थैली के चट्टे-बट्टे’ हैं।
  21. एक म्यान में दो तलवार (एक ही स्थान पर दो विचारधाराएँ नहीं रह सकती) – राहुल ने अजय से कहा कि तुम या तो मुझसे मित्रता कर लो या रिशी से। दोनों से सम्बन्ध निभाना उसी प्रकार सम्भव नहीं है जिस प्रकार ‘एक म्यान में दो तलवार’ का रहना सम्भव नहीं है।
  22. एक तो चोरी, दूसरे सोना जोरी (एक तो गलत कार्य करना और दूसरे बहस भी करना) – शिक्षक ने छात्र को काम पूरा न करने पर डाँटा तो वह उनसे काम के कठिन और परिमाण में अधिक होने की शिकायत करने लगा। इस पर शिक्षक ने उससे कहा कि एक तो चोरी और दूसरे सीना जोरी।
  23. एक पन्थ दो काज (एक प्रयत्न से दोहरा लाभ) – मोहन परीक्षा देने हरिद्वार गया था। उसने परीक्षा भी दे दी और गंगा स्नान भी कर आया। इसे कहते हैं- ‘एक पन्थ दो काज’।
  24. एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा (बुरे व्यक्ति में अन्य बुरे व्यक्ति की संगति से अवगुणों में वृद्धि हो जाना) – रमेश तो वैसे ही सबसे बेवजह उलझता रहता था और अब तो उसकी शादी भी झगड़ालू लड़की से हो गयी। अब तो वह वैसा ही हो गया है, जैसे- ‘एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा।
  25. एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय (कार्य सिद्धि के लिए ही सहयोग लेना चाहिए) – विकास एक बार किसी मुसीबत में पड़ गया। उसने कई लोगों से सलाह माँगी और उन पर अमल भी किया। लेकिन उसकी मुसीबत घटने के स्थान पर बढ़ गयी। किसी ने सच ही कहा है कि एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
  26. ओखली में सिर दिया तो मूसलो से क्या डरना (काम शुरू कर देने पर बाधाओं से भयभीत नहीं होना चाहिए)– जब परीक्षा का फॉर्म भर दिया है तो पढ़ाई में मेहनत करनी ही पड़ेगी, क्योंकि ‘जब ओखली मे सिर दिया है तो मूसलों से क्या डरना’।
  27. औछे की प्रीत, बालू की भीत (ओछे मनुष्य की मित्रता स्थायी नहीं होती) – विद्वानों ने बहुत ही अनुभव करने के बाद यह कहावत बिलकुल सही लिखी है ‘ओछे की प्रीत, बालू की भीत’।
  28. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली (आकाश-पाताल का अन्तर) – तुम बार-बार सुरेश की बात करते हो। वह भला राधेश्याम की बराबरी क्या करेगा ? ‘कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली’।

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