अलंकार का परिभाषा

‘काव्यशोभीकरीन् धर्मानलंकारान् प्रचक्षते – काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले धर्मों को ‘अलंकार’ कहते हैं। अलंकार किसे कहते है – किसी बात को ऐसे ढंग से प्रस्तुत करना कि जिससे शब्द या अर्थ अथवा दोनों से चमत्कार उत्पन्न हो जाये तथा काव्य का सौन्दर्य बढ़ जाये, इन काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्मों को ही … Read more

भारतेन्दु हरीशचन्द्र

जीवन परिचय – युग प्रवर्तक साहित्यकार एवं असाधारण प्रतिभासम्मान भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म सन् 1850 ई० के सितंबर माह मे , काशी में हुआ था | इनके पिता गोपालचंद्र ‘गिरधरदास’ ब्रजभाषा के एक प्रसिद्ध कवि थे | बाल्यकाल में मात्र 10 वर्ष की अवस्था में ही यह माता-पिता के सुख से वंचित हो गए थे … Read more